Aawargi Shayari

Aawargi Ki Zindagi To Zindagi Bhar Chalti Rahi,
Kahin Par Bhi Magar Ishq Ka Basera Nahin Hua.

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आवारगी की जिंदगी तो जिंदगी भर चलती रही,
कहीं पर भी मगर इश्क का बसेरा नहीं निकला।

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Kyun Meri Aawargi Pe Ungli Uthate Hain Zamane Wale,
Main Toh Aashiq Hun Dhoondhta Hun Wafa Nibhane Wale.

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क्यूँ मेरी आवारगी पे ऊँगली उठाते हैं जमाने वाले,
मैं तो आशिक हूँ और ढूंढता हूँ वफ़ा निभाने वाले।

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सोचा न था यह दिन आएगा
इस आवारा दिल को तू भूल जायेगा
नाचेगी धरती अम्बर झूम उठेगा
अन्जान नगरी में सनम मिल जायेगा!

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लेता नहीं मिरे दिल-ए-आवारा की ख़बर,
अब तक वो जानता है कि मेरे ही पास है!

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Kam Se Kam Apne Baal To
Baandh Liya Karo,
Kambakht Bewajah Mausam
Badal Diya Karte Hain.

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कम से कम अपने बाल तो
बाँध लिया करो,
कमबख्त बेवजह मौसम
बदल दिया करते हैं।

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Chahat Shayari

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