जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह
मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे
Zindagi Phir Kabhi Na Muskurai Bachpan Ki Tarha
Maine Mitti Bhi Jama Ki Khilone Bhi Lekar Dekhe
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यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया,
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो!!
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Kagaz Ki Kashti Thi Pani Ka Kinara Tha,
Khelne Ki Masti Thi Dil Ye Awara Tha,
Kaha Aa Gye Samajhdari Ke Dal dal Mein,
Wo Nadaan Bachpan Bhi Kitna Pyara Tha.
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काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दल दल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।
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आशियाने ? जलाये जाते हैं जब तन्हाई की आग से,
तो बचपन के घरौंदो की वो मिट्टी याद आती है ?
याद होती जाती है जवां बारिश के मौसम में तो,
बचपन की वो कागज की नाव ? याद आती है!!
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बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे,
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे,
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता,
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे!
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वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे..!
न फ़िक्र कोई..न दर्द कोई..!!
बस खेलो, खाओ, सो जाओ..!
बस इसके सिवा कुछ याद नहीं..!
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Kagaz Ki Kashti Thi Pani Ka Kinara Tha,
Khelne Ki Masti Thi Dil Ye Awara Tha,
Kaha Aa Gye Samajhdari Ke Daldal Mein,
Wo Nadaan Bachpan Hi Pyara Tha.
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काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।
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