तुझे देखते ही मेरा दिल तेरा हो गया
ना चाहते हुए भी यहाँ अँधेरा हो गया
रात आई तो थी इस जमीन पर मगर
तेरी जुल्फों की किरणों का साँवेरा हो गया…
——————————-
Zulf shayari – Zulfon ki kirno ka sawera
Tujhe dekhte hi mera dil tera ho gaya
Naa chahte huye bhi yahan andhera ho gaya
Raat aai to thi is jameen par magar
Teri zulfon ki kirno ka sawera ho gaya…
——————————-
गर्मी सुरज की महसुस की है तेरे आगोश में मैने,
बर्फ की ठंडक मिली है तेरी जुल्फों के मोहपाशों से
——————————-
हमने जो की थी मोहब्बत आज भी है,
तेरी जुल्फों के साए की चाहत आज भी है,
रात कटती है आज भी खयालों में तेरे,
दीवानों सी हालत मेरी आज भी है!
——————————-
Badi Aarzoo Thi Mohabbat Ko Benakaab Dekhne Ki,
Dupatta Jo Sarka To Zulfen Deewaar Ban Gayi.
——————————-
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयी।
——————————-
Poochha Jo Unse Chaand Nikalta Hai Kis Tarah,
Zulfon Ko Rukh Pe Daal Ke Jhatka Diya Ke Yun.
——————————-
पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह,
ज़ुल्फ़ों को रूख पे डाल के झटका दिया कि यूँ।
——————————-
तेरी ज़ुल्फ़ के साये तस्बूर में रहते हैं
में सुबह को शामें लिखता रहता हूँ
तेरे हिजर में ओर मुझे क्या करना है
तेरे नाम किताबें लिखता रहता हूँ
——————————-