Rajasthani Shayari

आजकल दाढ़ी राखण को इसो फैशन चाल्यो है.
नयी आएडी बींदणी क उग चुग होज्या है
क कुणसो देवर है और कुणसो जेठ

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अंगरेजी म्हाने आवे कोणी, न हिंदी रो घणो ज्ञान,
राजस्थान रा बाशिंदा हा, राजस्थानी म्हारी पिछाण.!

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रामजी थाने सगळा ने निरोगा राखै
कमाई दुनी चोगुणी बढ़ावे,
टाबरिया आपस्यूं भी ऊँचा चढ़े
घर आळी या घर आळा री मोकळी मेहरबानी रेवे।

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सावण बरस्यो भादूड़ों बरस्तो जाय रह्यो
आप बैठा हो परदेश में पिवजी
थारी याद में म्हारो जीवडो तड़फ रह्यो
क्यूँ बैठा हो दूर परदेश में पिवजी
थास्यु मिलण न मनड़ो तरस रह्यो

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वा बोली कि चौधरी थारा
दिल म्हारी खात्तर कोनी धड़कता।
अब कुण बताव बावली न
कि जाट का दिल तो
ARMY खातर ही धड़कया कर हैं।

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Insaniyat Shayari

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