Tumhari Berukhi Ne Laaj Rakhli BadaKhane Ki,
Tum Aankho Se Pila Dete To Paimane Kahan Jate.
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
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हज़ार दर्द शब-ए-आरज़ू की राह में है
कोई ठिकाना बताओ कि क़ाफ़िला उतरे
क़रीब और भी आओ कि शौक़-ए-दीद मिटे
शराब और पिलाओ कि कुछ नशा उतरे
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जाम तो उनके लिए है
जिन्हें नशा नहीं होता
हम तो दिनभर “तेरी यादों के
नशे में यूँ ही डूबे रहते है।
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एक तेरा ही नशा हमें मात दे गया वरना…
मयखाना भी हमारे हाथ जोड़ा करता था…
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तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
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मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती!
मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती!
सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता,
फिर भी पी लेता अगर वो शराब होती!
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