Insaaniyat Ki Roshni Gumm Ho Gayi Kahan,
Saaye Toh Hain Aadmi Ke Magar Aadmi Kahan?
इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ,
साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?
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इल्म-ओ-अदब के सारे खज़ाने गुजर गए,
क्या खूब थे वो लोग पुराने गुजर गए,
बाकी है बस जमीं पे आदमी की भीड़,
इंसान को मरे हुए तो ज़माने गुजर गए।
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ilm-o-Adab Ke Saare Khazane Gujar Gaye,
Kya Khoob The Wo Log Puraane Gujar Gaye,
Baaki Hai Bas Zamin Pe Aadmi Ki Bheed,
Insaan Ko Mare Hue To Zamane Gujar Gaye.
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अच्छे इंसान की सबसे पहली और सबसे आखिरी निशानी ये है कि…
वो उन लोगों की भी इज्जत करता है,
जिनसे उसे किसी किस्म के फायदे की उम्मीद नहीं होती ।
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Acche Insaan Ki Sabse Pahli Aur Sabse Aakhri Nishani Ye Hai Ki…
Wo Un Logon Ki Bhi Ijjat Karta Hai, Jinse Use Kisi Kism…
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मौसम आज फिर हसीन बन गया…
जब एक इंसान में इंसानियत दिख गई..
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Har Haath Mein Khanjar,
Har Dil Me Ek Chor Kyun Hai?
Aaine Ke Samne Main Hun,
Magar Aaine Mein Koi Aur Kyun Hai?
Insaan Hain Sbhi To Insaniyat Kyu Nahi Hai?
Ya Unme Dil Nahi Hai,
Aur Hai To Itna Shakht Kyun?
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हर हाथ में खंजर,
हर दिल में एक चोर क्यों है?
आईने के सामने मैं हूँ,
मगर आईने में कोई और क्यों है?
इंसान हैं सभी तो इंसानियत क्यों नहीं है?
या उनमें दिल नहीं है,
और है तो इतना शख्त क्यों?
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