ज़ब खामोश आँखों से बात होती है,
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तुम्हारे ही खयालो में खोये रहते है,
पता नहीं कब दिन कब रात होती है….
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kab tak aakhon main jane ka kachra jane ka bahan karoon
lo aaj sare aam kaheta hoon tumhe yaad kar ke rota hoon
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बोलने का हक़ छीना जा सकता है
मगर ख़ामोशी का कभी नहीं वो अपने ही होते हैं
जो बातों से मार देते है वरना गैरों को क्या
ख़बर की हमारा दिल किस बात पर टूटता है
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दिल की ख्वाइश को नाम क्या दूं
प्यार का उसे पैगाम क्या दूं
इस दिल में दर्द नहीं यादें हैं
उसकी अब यादें ही मुझे दर्द दे
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दिल से दिल की दूरी नहीं होती !
काश कोई मज़बूरी नहीं होती !
आपसे अभी मिलाने की तमन्ना है!
लेकिन कहते हैं हर तमन्ना पुरी नहीं होती !!
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